पुलिस लॉकअप में कुछ लोगों की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि ये लोग राम मंदिर उद्घाटन से संबंधित मीरा रोड पर हाल ही में हुए दंगों के लिए हिरासत में लिए गए आरोपी हैं।

जब से राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई है, तभी से न जानें सोशल मीडिया पर रोजाना कितनी ही खबर, फोटो या वीडियो वायरल हो रही हैं; जिसका सच से कोसों दूर तक कोई नाता नहीं होता है। ऐसे ही फेक न्यूज से आपको सावधान करने के लिए हम लेकर आते हैं
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ने जब इसका फेक्ट चेक किया तो सच्चाई कुछ और ही निकली।क्या हो रहा है वायरल?दरअसल, पुलिस द्वारा लॉकअप में पुरुषों के एक समूह को पीटते हुए दिखाने वाला एक वीडियो वायरल है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि ये लोग राम मंदिर उद्घाटन से संबंधित मीरा रोड में हाल ही में हुए दंगों के लिए हिरासत में लिए गए आरोपी हैं। लेकिन जब
,, जन सेवा भारत न्यूज़ पोर्टल सम्पादक ,,
ने इस दावे का फैक्ट चेक किया तो सच कुछ और ही निकला और पाया कि दावे झूठे हैं, वीडियो जून 2022 में उत्तर प्रदेश का है न कि मीरा रोड हिंसा से संबंधित।क्या है सच्चाई? वीडियो के शुरूआत में जेल के अंदर एक पुरुष समूह दिख रहा है और उसके तुरंत बाद ही लोगों को पुलिस द्वारा लाठियों से पीटते हुए दिखाया गया है।जब हमने हमने Google पर वायरल वीडियो के कुछ फ़्रेमों की रिवर्स इमेज सर्च की तो हमें 12 जून 2022 को एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट का शीर्षक था ‘वायरल वीडियो दिखाता है कि यूपी पुलिस प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीट रही है’ और इसमें वायरल वीडियो के समान दृश्य थे।विवरण के मुताबिक, यूपी के भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने यह वीडियो शेयर किया था। जिसमें पैगंबर मुहम्मद पर तत्कालीन बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के बाद पुलिस द्वारा लोगों को पीटा जा रहा है। इसके बाद जब हमने भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी का X अकाउंट(पूर्व में ट्विटर) खंगाला तो पाया कि यह वीडियो 11 जून 2022 को “दंगाइयों के लिए एक रिटर्न गिफ्ट” कैप्शन के साथ शेयर किया गया था।