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मुरादाबाद.चर्चा में समोसा: मुरादाबाद में रोज एक करोड़ का कारोबार, शौकीन बोले- जायका नहीं… संस्कृति का हिस्साभी

मुरादाबाद में करीब 17 लाख की आबादी वाले इस शहर में समोसे की लगभग 2200 दुकानें हैं। किसी दुकान से रोजाना 400 तो कहीं 900 समोसे की बिक्री होती है। समोसे की कीमत सात रुपये से 25 रुपये तक है। शहर के लोग रोजाना करीब 10 लाख समोसे इन दुकानों से खरीदते हैं।इस तरह हर दिन समोसे का एक करोड़ रुपये का कारोबार है। कई दुकानें तो ऐसी हैं जिनकी पहचान ही समोसे से है। बुध बाजार में हिंदू कॉलेज के समोसे हों, कटरा मार्केट में जैन समोसा भंडारा या डिप्टी गंज का दीपाली स्वीट्स… और भी कई नाम हैं जिनके समोसे का स्वाद लोगों की पसंद में घुल गया है।शहर में लोगों का शाम का नाश्ता और ऑफिस की पार्टी समोसे के बिना अधूरी है। घर में मेहमान आए हों या कॉलेज के बाहर दोस्तों के साथ वक्त बिताना हो, सबसे पहले दिमाग में आते हैं गरमागरम समोसे। इन दिनों अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के बाद समोसा सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड कर रहा है।समोसा बेचते हुए बदल गई पीढ़ी.समोसा बेचते हुए बदल गई पीढ़ीडिप्टी गंज स्थित जैन समोसा भंडार के संचालक भागीरथ बताते हैं कि दो दशक पहले उन्होंने समोसे की दुकान शुरू की थी। आज उनकी गैरमौजूदगी में बेटा दुकान संभालता है। उन्होंने कहा कि तेल, मसाले की गुणवत्ता की वजह से ही सिर्फ समोसे बेचकर वह कारोबार चला रहे हैं। इसी तरह मंडी चौक स्थित बाबूराम मिष्ठान भंडार के संचालक अतुल गुप्ता बताते हैं कि सुबह 7:30 बजे से समोसे बनने शुरू हो जाते हैं।नाश्ते में लोग मूंग की दाल के साथ समोसा खाने आते हैं। शाम छह बजे तक समोसे बिकते हैं। पिछले 70 साल से वह यह काम कर रहे हैं। बुद्धि विहार स्थित प्रेम स्वीट्स के संचालक प्रमोद गोयल बताते हैं कि हर दिन करीब 600 समोसे बिक जाते हैं। एक समोसे की कीमत 12 रुपये है।मुरादाबाद दाल के साथ भी फिट हो गया समोसाइस शहर की पहचान मुरादाबाद दाल के साथ भी समोसा इस तरह फिट हो गया है जैसे जलेबी के साथ दही। शहर का चर्चित बाबूराम मिष्ठान भंडार हो या सड़क किनारे खोमचे पर दाल बेचने वाले दुकानदार। सबके पास दाल-समोसा नाश्ते से लेकर रात तक उपलब्ध रहता है।मुरादाबाद में आपको कई दुकानों पर मीठे समोसे भी मिल जाएंगे। आलू की जगह इनमें मावा भरा जाता है। तलने के बाद जलेबी की तरह चाशनी में डुबोकर निकाला जाता है। इस समोसे की दीवानगी पड़ोसी जिले अमरोहा और संभल में भी दिखती है।अचानक सुर्खियों में क्योंसमोसे को लेकर विवाद उस समय उत्पन्न हुआ जब केंद्र सरकार के एक आदेश के हवाले से सरकारी दफ्तरों में समोसे पर रोक की बात कही गई। हालांकि अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सरकारी दफ्तरों की कैंटीन में समोसा, पिज्जा, बर्गर, पकौड़े पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। कैंटीन आने वालों को यह पता होना चाहिए कि इन खाद्य पदार्थों में कितना फैट और तेल मौजूद है। इस आशय की सूचना सरकारी कैंटीनों में तस्वीर के माध्यमों से दी जानी चाहिए।समोसा स्वाद में अच्छा है और सेहत के लिए तब तक हानिकारक नहीं है, जब तक आप गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखते हैं। अगर आप सोचते हैं कि चार समोसा खा लेता हूं फिर लंच नहीं करूंगा, तो यह खतरनाक हो सकता है। एक समोसे में 17 ग्राम फैट होता है जबकि एक व्यक्ति को दिनभर में 44 से 78 ग्राम फैट की ही जरूरत होती है। जमा फैट बाद में बीमारियों का कारण बनता है। – डॉ. सौभाग्य मिश्रा, एमडी मेडिसिन.बाजार में बिकने वाला समोसा आम तौर पर बार-बार प्रयोग किए जाने वाले तेल में तला जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। समोसा खाएं लेकिन ऐसी दुकान से जो बार-बार एक ही तेल में समोसे न तलता हो। रोजाना समोसा खाना भी गैस, एसिडिटी, मोटापा आदि समस्याओं को जन्म दे सकता है। ओपीडी में आने वाले 40 प्रतिशत मरीज मोटापे से ग्रसित होते हैं। – डॉ. सीपी सिंह, एमडी मेडिसिन

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