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सारे रडार फेल! वैश्विक सुरक्षा में खतरे की घंटी, पुतिन के दावे ने दुनिया को दहशत में डाला


Russian Nuclear Submarines: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इस समय सबसे ज्यादा सुर्खियां रूस की आक्रामक नीति की वजह से बन रही हैं। यूक्रेन के साथ लंबे समय से जारी संघर्ष को अमेरिका और यूरोप रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस ने इसे रोकने के लिए अपनी विशेष शर्तें रखी हैं।

इसके साथ ही रूस अपने उच्च सटीक हथियारों के लिए भी जाना जाता है।

युद्धविराम की कोशिशों के बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया है कि उनकी परमाणु पनडुब्बियां विदेशी रडारों की पहुंच से बाहर रहकर आर्कटिक की बर्फ के नीचे संचालित हो सकती हैं। पुतिन के अनुसार, यह रूस को अन्य देशों की तुलना में अधिक ताकतवर बनाता है।

बर्फ पिघलने के कारण नौवहन मार्ग को फायदा

मॉस्को के सरोव में न्यूक्लियर सेक्टर के कर्मचारियों के साथ हुई बैठक में पुतिन ने कहा कि आर्कटिक क्षेत्र रूस की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।उन्होंने इस क्षेत्र में अनुसंधान की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि बर्फ पिघलने के कारण नौवहन मार्ग पहले से ज्यादा खुल रहे हैं और कई देश इन मार्गों का फायदा उठाने में रुचि दिखा रहे हैं। अपने कर्मचारियों का उत्साह बढ़ाते हुए पुतिन ने यह भी कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए रूस इस क्षेत्र में लाभ में है।

रूस इस समय एकमात्र देश है जो परमाणु ऊर्जा से चलने वाले आइसब्रेकर जहाजों का बेड़ा संचालित करता है। 2000 के दशक से, रूस ने आठ बोरेई-श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियां तैयार की हैं, जिनमें सबसे नया पोत क्यनाज पॉजर्स्की पिछले साल लॉन्च हुआ, जबकि दो और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं।

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बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं पनडुब्बियां

पिछले महीने, पुतिन ने बताया कि ये पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं, जिनकी मारक क्षमता लगभग 8,000 किमी (4,970 मील) तक है। हाल के वर्षों में रूस और अमेरिका सहित कई देश आर्कटिक के रणनीतिक और वैश्विक व्यापार के महत्व पर जोर दे रहे हैं।

रूस वर्तमान में दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा से चलने वाले आइसब्रेकर यानी बर्फ तोड़ने वाले जहाजों के बेड़े का संचालन कर रहा है। यह बेड़ा अत्याधुनिक तकनीक और शक्तिशाली इंजनों से लैस है, जो इसे आर्कटिक के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण जलवायु परिस्थितियों में भी निर्बाध रूप से नौवहन करने की क्षमता प्रदान करता है। इन आइसब्रेकरों की मदद से रूस न केवल आर्कटिक के दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंच बना सकता है, बल्कि इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सक्षम है।

जन सेवा भारत न्यूज़ चैनल सम्पादक श्री मुहीत चौधरी

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