नई दिल्ली । बांग्लादेश के बाद अब एक और मुस्लिम बाहुल देश में लोकतंत्र खतरे में है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में उस समय भारी उथल-पुथल मच गईजब गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने चुनाव कानून में प्रस्तावित बदलावों का विरोध करते हुए संसद की बाड़ तोड़ दी।
यह बदलाव राष्ट्रपति जोको “जोकोवी” विडोडो की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने और उनके आलोचकों को रोकने के उद्देश्य से किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी “जोकोवी लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं” के नारे लगाते हुए संसद में घुस गए, जबकि पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
एक जगह पर, प्रदर्शनकारियों ने “लोकतंत्र यहाँ मर रहा है” लिखा हुआ बैनर भी उठा रखा था। यह विरोध प्रदर्शन उन बदलावों के खिलाफ था, जो राष्ट्रपति जोकोवी के बेटे के लिए राजनीतिक पद का रास्ता साफ कर सकते थे। इन बदलावों को लेकर संसद में मतदान होना था, लेकिन पर्याप्त सांसदों की अनुपस्थिति के कारण इसे टाल दिया गया। देशभर में विरोध प्रदर्शन फैल रहे हैं, जिससे इंडोनेशिया में लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जकार्ता के अलावा पडांग, बांडुंग और योग्याकार्ता जैसे अन्य शहरों में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
इस पूरे विवाद का केंद्र संवैधानिक न्यायालय का वह फैसला है, जिसने उम्मीदवारों की पात्रता के नियमों में बदलाव किया था। संसद, जिसमें राष्ट्रपति के समर्थकों का वर्चस्व है, ने इस फैसले को पलटने की कोशिश की, जिससे राजनीतिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संसद अपने कदम में सफल हो जाती है, तो यह सरकार के प्रमुख आलोचकों को राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर कर सकता है और जोकोवी के बेटे को चुनाव लड़ने का रास्ता साफ कर सकता है। इससे देश में लोकतंत्र अधर में लटक सकता है।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह लोकतंत्र और उनके अधिकारों पर सीधा हमला है।
रि० जन सेवा भारत न्यूज़ पोर्टल सम्पादक श्री मुहीत चौधरी जी की क़लम से