(रिपोर्टर भूपेंद्र वर्मा)
हापुड़ जनपद की तहसील गढ़मुक्तेश्वर के सिंभावली ब्लॉक के अंतर्गत सिंभावली में स्थित सिंभावली शराब डिस्टलरी से निकल रहा शीरा केमिकल युक्त दूषित पानी सिंचाई विभाग के द्वारा बनाए गए कच्चे नाले में डालने के चलते दिन प्रतिदिन क्षेत्रीय भूगर्भ जल को दूषित कर रहा है। जिसमें क्षेत्रीय हैंड पंप से निकलने वाला दूषित पानी हेपेटाइटिस सी आत्र शोध टीबी(क्षय रोग) कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों के रूप में मौत बांटने का काम कर रहा है। और प्रदूषण विभाग मौन बना हुआ है।
बता दें कि सिंभावली क्षेत्र में स्थित सिंभावली शराब डिस्टलरी के द्वारा फैक्ट्री से निकलने वाले शीरा रसायन केमिकल युक्त दूषित पानी को सिंचाई विभाग के द्वारा बनाए गए कच्चे नाले में डाला जा रहा है। जिसके चलते बक्सर,वैट,सहसपुरा,खागोई हरोड़ा कोठी सलोनी,जखैडा, इत्यादि क्षेत्रीय गांव का भूगर्भ जल पूर्ण रूप से दूषित हो चुका है। और साथ ही यह पानी पूठ गांव से होकर कर गंगा नदी में जा रहा है। जो मोक्षदायिनी पतित पावनी गंगा मैया को भी दूषित कर रहा है। जबकि गत वर्षो एनजीटी कोर्ट के आदेश पर इस पानी पर रोक लगाने के चलते शराब एवं शुगर फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी को फैक्ट्री के ठेकेदारों के द्वारा ट्रकों में टैंकरों से एवं ट्रैक्टर ट्राली टैंकरों में भरकर आसपास के जंगलों रात्रि के समय डाला जा रहा था। लेकिन सिंभावली शराब डिस्टलरी के द्वारा एनजीटी कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए दूषित पानी को फिर से सिंचाई विभाग के कच्चे नाले में डाला जा रहा है।
जिसके चलते जिन गांवों के पास से होकर यह सिंचाई विभाग का कच्चा नाला गुजर रहा है उन गांव का भूगर्भ जल पूर्ण रूप से दूषित हो चुका है। और ग्रामीण पीने के पानी के लिए तरस रहे है। जिसको लेकर कस्बा बक्सर निवासी मोहन लोधी का कहना है कि गांव में लगे हैंड पंप से पीले रंग का दूषित पानी निकल रहा है। जिसको पीने से वह खुद भी बीमार चल रहा है। और गांव के एक दर्जन से अधिक लोग कैंसर हेपेटाइटिस-सी टीबी जैसी संक्रमित बीमारियों से मौत हो चुकी है।और दर्जनों से अधिक लोग संक्रमित बीमारियों से जूझ रहे हैं। वही ड्रेन में डाले जा रहे गंदे पानी को लेकर प्रदूषण विभाग के ए विपुल कुमार का कहना है कि शुगर एवं शराब डिस्टलरी उत्पादन नहीं कर रहे हैं ट्रेन में शहर का शिवराज पानी आ रहा है फैक्ट्री का इंस्पेक्शन कर लिया जाएगा एवं ड्रेन के पानी की सैंपलिंग की जाएगी। यदि सैंपलिंग में इंडस्ट्रीज का इंफ्यूलैंट मिलता है तो डिस्टलरी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वही शराब फैक्ट्री सीजीएम राजेश कुमार का कहना है कि बरसात अधिक होने के चलते गन्ने की मैली से बनाई जाने वाली खाद के गड्ढे में पानी ओवरफ्लो होकर बांध टूट गया। जिसके चलते यह पानी ड्रेन में पहुंच गया। ड्रेन में शीरे का पानी नहीं यह मैली के गड्ढों का पीले रंग का पानी है।