आज दिनांक 6.10.2024 को भारतीय किसान यूनियन इंडिया के कार्यकर्ताओं द्वारा तिरंगा गेट, हापुड़ रोड, मेरठ पर किसानों के मसीहा, दिल्ली हिलाने वाले बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
इस मौके पर सर्वप्रथम यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष श्री संदीप तितौरिया ने बाबा टिकैत के चित्र पर माल्यार्पण किया व आयोजित विचार गोष्ठी को सम्बोधित किया। विचार गोष्ठी का संचालन राष्ट्रीय सचिव सरदार अमनदीप सिंह ने किया।
विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्री तितौरिया ने कहा कि चैधरी टिकैत के जीवन का सफर कांटों भरा था। 1935 में मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में जन्मे चैधरी महेंद्र सिंह टिकैत का पूरा जीवन ग्रामीणों को संगठित करने में बीता। भारतीय किसान यूनियन के गठन के साथ ही 1986 से उनका लगातार प्रयास रहा कि यह अराजनीतिक संगठन बना रहे। 27 जनवरी, 1987 को करमूखेड़ा बिजलीघर से बिजली के स्थानीय मुद्दे पर चला आंदोलन किसानों की संगठन शक्ति के नाते पूरे देश में चर्चा में आ गया, लेकिन मेरठ की कमिश्नरी 24 दिनों के घेराव ने चैधरी साहब को वैश्विक क्षितिज पर ला खड़ा किया। इस आंदोलन ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं। बाबा टिकैत के नेतृत्व में कई आंदोलन हुए लेकिन एक आंदोलन ऐसा भी था, जिसे देख मौजूदा केंद्र सरकार तक कांप गई थी। 1988 के दौर की बात है नई दिल्ली वोट क्लब में 25 अक्तूबर, 1988 को बड़ी किसान पंचायत हुई। इस पंचायत में 14 राज्यों के किसान आए थे। करीब पांच लाख किसानों ने विजय चैक से लेकर इंडिया गेट तक कब्जा कर लिया था। सात दिनों तक चले इस किसान आंदोलन का इतना व्यापक प्रभाव था कि तत्कालीन सरकार दबाव में आ गई थी। आखिरकार तत्कालीन प्रधानमंत्री को पहल करनी पड़ी तब जाकर किसानों ने अपना धरना खत्म किया था। इस आंदोलन से चैधरी टिकैत ने वह कद हासिल कर लिया कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भी उनके आगे झुकने लगे थे। बाबा टिकैत के नेतृत्व में वर्ष 1986 में भी बिजली की बढ़ी दरों को लेकर किसान लामबंद हुए थे। महेंद्र सिंह टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। आंदोलन का ऐसा असर था कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को सिसौली (टिकैत के गांव) पहुंचकर किसानों से वार्ता करनी पड़ी। 11 अगस्त 1987 को सिसौली में एक महा पंचायत की गई, जिसमें बिजली दरों के अलावा फसलों के उचित मूल्य, गन्ने के बकाया भुगतान के साथ सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, दिखावा, नशाबंदी, भ्रूण हत्या आदि कुरीतियों के विरुद्ध भी जन आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया।
पर आज के समय में भारतीय किसान यूनियन के नाम पर अनेक संगठन बना लिये गये है। जो सिर्फ टोल बचाने का कार्य कर रही है उन्हें न तो किसान, मजदूरों से कोई सरोकर है और न ही कृषि से। आज हमें ऐसे फर्जी संगठनों के विरुद्ध भी आंदालन चलाने की जरुरत हैं।
विचार गोष्ठी में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उ0प्र0 के अध्यक्ष हाजी इमरान त्यागी, हाजी ताहिर, तेज सिंह बल्ली चैधरी, सुंदर यादव, राजू पंडित, कुंवर आबिद अली एडवोकेट , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र गुर्जर एवं , प्रदेश महासचिव आदेश राठी एवं काशिफ मंसूरी, , जिलाध्यक्ष अंकुर चपराणा, महानगर अध्यक्ष विकास ठाकुर, युवा जिलाध्यक्ष ललित विकल, , मनोज जैन,सलमान अल्वी,डा. संजीव अग्रवाल, वसीम अल्वी,शरद तुरैहा, दीपांशु तितौरिया, परविन्दर सिंह, , विपुल सिंह, पिंकी पबरसा, अर्चना अहलावत आदि मुख्य रुप से शामिल रहे।