अमृतसर : वर्ष 2009 से 2025 तक विभिन्न देशों से 15,756 भारतीयों को 17 विशेष उड़ानों के माध्यम से डिपोर्ट किया गया है। इन सभी गैर-कानूनी प्रवासी भारतियों को अमेरिका व अन्य देशों द्वारा भारत भेज दिया गया था।
गैर-कानूनी प्रवासी भारतियों को सरकारों ने आसानी से प्रवान कर लिया था भले ही वह मनमोहन सिंह सरकार के समय आई 5 उड़ानें हों या मोदी सरकार के दौरान 12 उड़ानें।
तथ्य बताते हैं कि इन गैर-कानूनी प्रवासियों को अमेरिकी जहाजों द्वारा लाया गया था। बीते समय में मित्र देशों की सरकारों की मदद से भी भारत सरकार ने प्रबंध किया था। बीते समय दौरान 16 उड़ानें दिल्ली में उतरी थी। बाद में इन गैर-कानूनी प्रवासियों को उनके स्थानों पर भेज दिया गया था पर जैसे ही 7वीं उड़ान अमृतसर में उतरी तो हंगामा हो गया क्योंकि फ्लाईट में बैठे 104 गैर-कानूनी प्रवासियों में से अधिक्तर पंजाब के थे। इस उड़ान में अन्य राज्यों के लोगों को भी भेजा गया था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 2019 में सबसे अधिक देश निकाले हुए थे। तब 2,042 गैर-कानूनी भारतीय प्रवासियों को देश वापिस भेजा गया था। हालांकि, सवाल यह है कि जब पहली 16 उड़ानें दिल्ली में उतरीं तो 17वीं उड़ान अमृतसर में क्यों उतरी? यह मंजिल क्यों चुनी गई?
विरोधी दल और कुछ अन्य भी कह सकते हैं पर मुद्दा यह है कि अमेरिकी सरकार को अपना सैन्य विमान पंजाब में उतारने के लिए क्यों कहा दिल्ली में क्यों नहीं? सरकारी सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और इससे एक और राजनीतिक लड़ाई शुरू हो सकती थी। गैर-कानूनी प्रवासी मनमोहन सिंह के शासन के दौरान भी आये और मोदी के शासन के दौरान भी।