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ट्रंप के विवादित बयान के बाद हमास ने बदला रुख, बंधकों की रिहाई अटकी

इंटरनेशनल न्यूज. राष्ट्रपति ट्रंप की गाजा पर कब्जे और इजरायली बंधकों की रिहाई न होने पर युद्ध विराम समझौता कैंसिल करने की हालिया टिप्पणियों ने इजराय-हमास के बीच तनाव बढ़ा दिया है, हमास ने इजरायल को चेतावनी दी है कि उसने मध्यस्थों को पर्याप्त समय दिया है ताकि वे आने वाले शनिवार निर्धारित बंधकों की रिहाई से पहले इजरायल पर अपने दायित्व पूरे करने का दबाव बनाएं.

इस चेतावनी से संघर्ष और गहराने सी आशंका बढ़ गई है.

इज़रायल और हमास के बीच तनाव

डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी कि यदि हमास शनिवार तक सभी इज़रायली बंधकों को रिहा करने में विफल रहा तो “सब कुछ बर्बाद” हो जाएगा. ट्रंप के इस बयान ने भी इज़रायल और हमास के बीच तनाव को बढ़ा दिया है. दोनों ने युद्ध विराम के लिए सहमति व्यक्त की थी जो 19 जनवरी से लागू है, जिससे गाजा में 15 महीने से चल रही लड़ाई रुक गई है. युद्ध विराम समझौते में 42 दिनों के पहले चरण में चरणबद्ध तरीके से रिहाई की बात कही गई है. रिहाई का पहला चरण 19 जनवरी को हुआ था.

हमास की नईं शिकायतें क्या हैं ?

ट्रम्प के बोलने से पहले एक्स पर प्रकाशित एक पोस्ट में, हमास की सशस्त्र शाखा क़स्साम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू ओबैदा ने कहा कि बंधकों को सौंपना “जिन्हें अगले शनिवार को रिहा किया जाना था. अगली सूचना तक स्थगित कर दिया जाएगा, और जब तक कि कब्जा करने वाला पक्ष पिछले हफ्तों के अधिकारों के लिए पूर्वव्यापी रूप से प्रतिबद्धता और मुआवजा नहीं देता है. हालांकि बाद में एक बयान में हमास ने कहा कि योजना के अनुसार रिहाई के लिए अभी भी अवसर है.

बशर्ते कब्जाधारी इसका पालन करें

बयान में कहा गया है, “कैदियों को सौंपे जाने की निर्धारित तिथि से पांच दिन पहले यह बयान जारी करके हमास का उद्देश्य मध्यस्थों को कब्जे पर दबाव डालने के लिए पर्याप्त समय देना है.” “इससे कैदियों को सौंपे जाने की प्रक्रिया को योजना के अनुसार आगे बढ़ाने का रास्ता भी खुला रहता है, बशर्ते कि कब्जाधारी इसका पालन करें. हमास ने गतिरोध के लिए कई शिकायतें की हैं. इनमें विस्थापित लोगों की वापसी में देरी से लेकर उन पर गोलीबारी जारी रखना और कुछ प्रकार की मानवीय सहायता को प्रवेश की अनुमति न देना शामिल है.

फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने कहा…

बीबीसी के हवाले से अन्य फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि इज़राइल बेघर फ़िलिस्तीनियों को घर देने के लिए कारवां को गाजा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहा है. हमास ने इज़राइल पर पट्टी में टेंट, पूर्वनिर्मित घर, ईंधन या मलबा हटाने की व्यवस्था की अनुमति नहीं देने का भी आरोप लगाया. इसने आरोप लगाया कि इज़राइल आवश्यक दवाओं और अस्पताल की आपूर्ति के प्रवेश में भी देरी कर रहा है. युद्ध विराम वार्ता की जानकारी रखने वाले एक राजनयिक ने सीएनएन को बताया कि संयुक्त राष्ट्र, कतर और अन्य देशों ने गाजा में अस्थायी आश्रय देने का अनुरोध किया था, लेकिन इजरायल ने इसे ठुकरा दिया.

इजराइल की प्रतिक्रिया क्या है?

इज़रायली रक्षा मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने कहा कि उन्होंने देश की सेना को ‘गाजा में किसी भी संभावित परिदृश्य के लिए उच्चतम स्तर की सतर्कता के साथ तैयार रहने’का निर्देश दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि लड़ाई फिर से शुरू हो सकती है. उन्होंने हमास के कदम को ‘युद्धविराम समझौते और बंधकों को रिहा करने के समझौते का पूर्ण ‘उल्लंघन’ बताया. इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने बाद में कहा कि वह “दक्षिणी इज़राइल में अपनी तत्परता के स्तर को बढ़ा रहा है और लड़ाकू सैनिकों की छुट्टियों को स्थगित कर रहा है” और “विभिन्न परिदृश्यों के लिए अपनी तत्परता” बढ़ाने के लिए क्षेत्र को सुदृढ़ करेगा.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार…

युद्धविराम समझौते के लागू होने पर चर्चा के लिए वार्ताकार कतर में मिलने वाले थे. युद्धविराम समझौते के 16वें दिन दूसरे चरण की वार्ता शुरू होनी थी, लेकिन इजरायल ने दोहा में वार्ताकार भेजने से इनकार कर दिया था. हमास की इस धमकी के पीछे की वजह को लेकर इजरायल को भी संदेह है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सप्ताहांत में क्षीण बंधकों को रिहा किए जाने के दृश्य ने यह आशंका जताई है कि हमास नहीं चाहता कि दुनिया दूसरों को इससे भी बदतर स्थिति में देखे.

ट्रंप ने युद्धविराम को कैसे बना दिया जटिल

ट्रंप के भड़काऊ बयानों, जैसे कि गाजा पर कब्जा करना, 2 मिलियन से अधिक निवासियों को हटाना और क्षेत्र को रिवेरा में बदलना तथा यदि सप्ताहांत तक इजरायली बंधकों को रिहा नहीं किया गया तो शांति समझौते को रद्द करना, ने हमास को भड़का दिया है, जो शायद सोच रहा है कि क्या युद्ध विराम वार्ता के दूसरे चरण में शामिल होना उचित है. यह स्पष्ट नहीं है कि गाजा पुनर्विकास पर ट्रंप के प्रस्तावों को किस प्रकार क्रियान्वित किया जाएगा, या उनके पास ऐसा करने का अधिकार भी है या नहीं. लेकिन इससे इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और इजरायल के अति-दक्षिणपंथ को बल मिला है, तथा कई कानूनी प्रश्न खड़े हो गए हैं.

धमकियों की भाषा का महत्व नहीं

वरिष्ठ हमास नेता सामी अबू जुहरी ने एएफपी को बताया कि ट्रंप की टिप्पणी मामले को और जटिल बनाती है. ट्रंप को याद रखना चाहिए कि एक समझौता है जिसका दोनों पक्षों को सम्मान करना चाहिए और कैदियों (बंधकों) को वापस करने का यही एकमात्र तरीका है. धमकियों की भाषा का कोई महत्व नहीं है और इससे मामला और जटिल हो जाता है. हमास के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रम्प को नेतन्याहू पर समझौते को लागू करने के लिए दबाव डालना चाहिए, न कि सहायता आपूर्ति में देरी और बाधा उत्पन्न करनी चाहिए.

हो सकती है बहुत ही बड़ी त्रासदी

उन्होंने कहा कि हमास और प्रतिरोधी गुट युद्ध विराम को सफल बनाने और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए सभी शर्तों को ठीक से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने हमास से शनिवार को बंधकों की रिहाई के लिए आगे बढ़ने का आग्रह किया. उन्होंने एक्स पर कहा, “हमें हर कीमत पर गाजा में शत्रुता को फिर से शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे बहुत बड़ी त्रासदी हो सकती है.

युद्धविराम समझौते का प्रथम चरण क्या था?

जनवरी में इज़राइल के सरकारी प्रेस कार्यालय ने रिहा किए जाने वाले 33 बंदियों के नामों की पुष्टि की. इनमें से 31 को 7 अक्टूबर को अगवा कर लिया गया था, जबकि दो अन्य 2014 और 2015 से बंधक बनाए गए हैं. रिहा होने वाले लोगों में हमास द्वारा बंधक बनाए गए दो सबसे कम उम्र के बच्चे, केफिर और एरियल बिबास भी शामिल हैं, जो अगर जीवित होते तो उनकी उम्र क्रमशः 2 और 5 वर्ष होती.

2,000 फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की उम्मीद

इज़राइल से लगभग 2,000 फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने की उम्मीद है. रविवार को इज़राइली जेलों से लगभग 90 को रिहा किया जा चुका है. इज़राइली सरकार ने 737 फ़िलिस्तीनी कैदियों और बंदियों और 1,167 गाजा निवासियों की रिहाई को मंज़ूरी दे दी है. हालांकि गाजा स्थित कैदी मीडिया कार्यालय ने कहा कि इजरायल 1,737 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें 120 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. उनके कार्यालय के अनुसार, रिहा किए जाने वालों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 300 फिलिस्तीनी भी शामिल होंगे. यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों पक्षों ने अलग-अलग आंकड़े क्यों जारी किए.

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