रिपोर्टर भूपेंद्र वर्मा
हापुड़/हापुड़ जनपद के शहरी एवं ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में नकली सिंथेटिक मिठाइयों का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण सोशल मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। जिसमें हापुड़ में निर्मित नकली सिंथेटिक मावे से तैयार घेवर को खाकर गाजियाबाद, मेरठ में बच्चों समेत लगभग पांच दर्जन लोग बीमार होने का अस्पतालों में दंश झेल रहे हैं। हापुड़ में निर्मित नकली घेवर से हुए फूड प्वाइजन के मामले ने खाद्य सुरक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है।
विदित रहे कि हापुर में इदरीश भाई मिठाई वालों की दुकान से खरीदे गए घेवर को खाने के बाद मेरठ एवं गाजियाबाद के लगभग बच्चों समेत पांच दर्जन लोग बीमार हो गए हैं। जिनको अस्पताल के आईसीयू में उपचार हेतु भर्ती कराया गया है। वही इस मामले को सोशल मीडिया की सुर्खियां बनते ही खाद्य सुरक्षा विभाग आया हरकत में और जांच की शुरू। प्रारंभिक जांच में जेवर निर्मित इस्तेमाल में सिंथेटिक मावे की आशंका जताई जा रही है। जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम बना सकता है। फूड सेफ्टी विभाग ने छापामार कार्रवाई कर नमूने संग्रहित राजकीय लैब भेजे हैं। लेकिन अभी तक भी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
जिसको लेकर पीड़ित परिजनों के द्वारा खाद्य सुरक्षा जिला अधिकारी हापुड़ एवं उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग से तत्वरित जांच कर पारदर्शी कार्यवाही करने की मांग की है। सूत्रों की माने तो गढ़मुक्तेश्वर,सिंभावलीएवं बक्सर के नाम चिन्ह मिष्ठान प्रतिष्ठान बहुत बड़े पैमाने पर सिंथेटिक मावे से बंगाली रसगुल्ला, बर्फी घेवर अन्य प्रकार की मिठाईयां को बनाने का कार्य कर रहे हैं। सिंभावली क्षेत्र के आसपास के ग्रामीण अंचल क्षेत्र में सिंथेटिक मावा, पनीर, सफेद रसगुल्ला देसी घी बनाने को लेकर कई गांव में भट्टीया धड़क रही हैं। जिन पर कार्रवाई करने को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।




