नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम ने दावा किया है कि 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमला के बाद वे तो पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इससे मना कर दिया।
2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी सरकार बनने के बाद से भारत की यह नीति पूरी तरह से बदल गई है और भारत ने पाकिस्तान से होने वाली हर आतंकवादी वारदात के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक बढ़कर और ज्यादा घातक कार्रवाई की है और आतंकियों और उनके संरक्षकों को उनके घर में घुसकर मारना आधिकारिक रणनीति का हिस्सा बना लिया है। सबसे ताजा उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर का है।
तत्कालीन विदेश मंत्रालय पर फोड़ा ठीकरा
कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने एबीपी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में 26/11 की घटना के बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर बहुत बड़ी सफाई दी है और दावा कर दिया है कि वह तो चाहते थे, लेकिन विदेश मंत्रालय इसके लिए तैयार नहीं हुआ। गौरतलब है कि मुंबई हमलों के तत्काल बाद ही शिवराज पाटिल को हटाकर चिदंबरम को गृहमंत्री बना दिया गया था। इसको लेकर चिदंबरम ने कहा है कि वह तो पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का यह साफ मत था कि परिस्थितियों से निपटने के लिए पहले कूटनीति और विस्तृत बातचीत का इस्तेमाल होना चाहिए।
‘पाकिस्तान पर हमले का आइडिया गलत’
चिदंबरम का कहना है कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की ओर से बार-बार कहा गया कि दोनों देशों के बीच तनाव को निश्चित तौर पर रचनात्मक बातचीत से ही सुलझाना होगा, मिलिट्री के माध्यम से नहीं। वे बोले कि मंत्रालय के अधिकारी सरकार को यह समझाने में कामयाब रहे कि पाकिस्तान पर हमले का आइडिया गलत है और कूटनीति का रास्ता ही बेहतर विकल्प है। चिदंबरम जिस समय की बात कर रहे हैं, उस समय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे। मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल मीडिया के निशाने पर थे। इसके बाद पाटिल ने देश पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया और चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृहमंत्रालय भेज दिया गया।
‘मैं वित्त मंत्रालय से नहीं निकलना चाहता था’
अब चिदंबरम ने यह भी दावा किया है कि वह वित्त मंत्रालय से अपने तबादले के लिए कतई तैयार नहीं थे। चिदंबरम ने तब के हालातों में खुद को गृहमंत्री बनाए जाने के बारे में कहा, ‘मेरे पास प्रधानमंत्री का फोन आया, जिसमें पीएम ने कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय में भेजने का सामूहिक फैसला (मनमोहन और सोनिया गांधी) लिया गया है। मैं वित्त मंत्रालय से नहीं निकलना चाहता था, क्योंकि मैंने पांच बजट पेश किए थे और एक साल के अंदर चुनाव होने वाले थे।’
मुंबई हमलों में 166 लोगों की हुई थी मौत
26 नवंबर, 2008 के हमलों में पाकिस्तान से आए लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई जगहों पर अटैक किया, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों जख्मी हो गए। हमले के चौथे दिन यानी 29 नंबर को सुरक्षा बल पूरी तरह से आतंकियों का खात्मा करने में सफल रहे। इन 10 आतंकियों में अजमल कसाब एकमात्र आतंकी थी, जिसे जिंदा पकड़ा गया और उसपर मुकदमा चला और अदालत के आदेश से उसे फांसी दे दी गई।




