जनपद हापुड़/खादी खाकी के संरक्षण में पनप रहा पीली मिट्टी का काला कारोबार. जनपद की तहसील गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे की आड़ में खाकी और खादी के संरक्षण में बहुत बड़े पैमाने पर पनप रहा है। अवैध पीली मिट्टी का काला कारोबार।आपको बता दें कि गढ़मुक्तेश्वर तहसील क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे की आड़ में खाकी और खादी के संरक्षण में बहुत बड़े पैमाने पर अवैध पीली मिट्टी का कारोबार पनप रहा है। शाम ढलते ही अवैध मिट्टी खनन माफिया अपने गोरख धंधे को अंजाम देते हुए अवैध कॉलोनी एवं अवैध प्लाटिंग का भराव करने में मशगूल हो जाते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण सिंभावली थाना क्षेत्र में नेशनल हाईवे 9 पर दिखाई दे रहा है। इन मिट्टी खनन माफिया को प्रशासनिक कार्रवाई का जरा भी नहीं है खौफ वेट मोड पर बनी पुलिस चौकी से मात्र चंद कदमों की दूरी पर पुलिस की आंखों के सामने से होकर गुजरते हुए बहुत बड़े पैमाने पर एनएएच आई की रेलिंग को तोड़कर डंपरों के माध्यम से भराव किया जा रहा है।सूत्रों की माने तो क्षेत्र में यह सब गोरख धंधा सत्ता की हनक में चूर नेताओं के द्वारा पुलिस प्रशासन से साठगांठ कर किया जा रहा है। और जहां पीली मिट्टी का काला कारोबार करने वाले सफेद पोश मिट्टी खनन माफियाओं के द्वारा सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। वही पुलिस प्रशासन की आंखों पर भी चांदी का चश्मा पहनाया हुआ है। जिसकी चमक में उनकी आंखों के सामने से रात्रि 10:00 बजे के बाद गुजरने वाले मिट्टी से भरे डंपर नजर नहीं आ रहे हैं। इसमें देखने योग्य बात यह है कि जब-जब भी मिट्टी खनन का माफियाओं का यह गोरख धंधा सोशल मीडिया की सुर्खियां बनता है। तभी प्रशासन की कुंभकरण की नींद टूटती है और कार्यवाही के नाम पर मात्र एक वाहनों को सीज करने की कार्यवाही कर अग्रिम कार्यवाही को विराम लगा दिया जाता है। यदि मिट्टी खनन माफियाओं पर संगीन धाराओं में धरती मां की कोक को खाली करने का मुकदमा दर्ज किया जाए। तो मिट्टी खनन माफिया के हौसलों पर किसी हद तक विराम लग सकती है। और सरकार के खजाने में राजस्व की बढ़ोतरी भी होगी। लेकिन यहां यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि सैया भायै कोतवाल तो डर काहे का जब खेत की रखवाली करने वाला ही खुद फसल को उजाड़ रहा है तो फसल कैसे परिपक्व हो पाएगी। जब इन मिट्टी खनन माफिया पर कार्रवाई करने वाले ही इस गोरख धंधे का नजराना ले रहे हैं। तो मिट्टी खनन माफिया क्यों डरें। अब तो मिट्टी खनन माफिया प्रशासनिक अधिकारियों को फ़ोन कर शिकायत करने वाल को ही धमकाते हैं। रिपोर्टर भूपेंद्र वर्मा