ISRO Aditya L-1 Halo Orbit: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को जानकारी दी है कि भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला, आदित्य-एल1, ने सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 लैग्रेंजियन बिंदु के चारों ओर यानी हेलो ऑर्बिट का एक चक्कर पूरा कर लिया है।
आदित्य-एल1 को पिछले साल 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया गया था और इस साल 6 जनवरी, 2024 को हेलो ऑर्बिट में उसे स्थापित किया गया था। आदित्य-एल1 ने इसके साथ ही अपने जटिल प्रक्षेप पथ को बनाए रखने की अपनी क्षमता का सफलता पूर्वक प्रदर्शन किया है।https://twitter.com/isro/status/1808122572263117306?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1808122572263117306%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fapi-news.dailyhunt.in%2F आदित्य एल-1 को पिछले साल सितंबर माह में लॉन्च किया गया था. इस साल 6 जनवरी को उसे हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया गया था. इसरो के अनुसार, आदित्य एल-1 ने इसके साथ ही अपने जटिल पथ को बनाए रखने की क्षमता का प्रदर्शन किया है.सूर्य का अध्ययन करने के लिए बनाए गए अंतरिक्षयान आदित्य एल-1 मिशन को एल 1 प्वाइंट का चारों ओर एक चक्कर को पूरा करने में लगभग 178 दिन लगते हैं. इसरो ने बताया कि इस स्थान पर अंतरिक्ष यान को विभिन्न प्रकार के अवरोधों का सामना करना पड़ता है, यह अवरोध इसके मार्ग में बाधा बन सकता है. इनका मुकाबला करने के लिए हमने मिशन की शुरुआत के बाद से तीन महत्वपूर्ण स्टेशन कीपिंग एक्सरसाइज की हैं
पृथ्वी से इतनी है दूरी
आदित्य एल-1 स्पेसक्राफ्ट की एक आवधिक हेलो ऑर्बिट है. यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी की दूरी पर स्थित है. इसकी परिक्रमा करने के लिए स्पेसक्राफ्ट को 177.86 दिन लगते हैं. हेलो आर्बिट एक आवधिक त्रि आयामी कक्षा है. इस कक्षा में सूर्य, पृथ्वी, और एक स्पेसक्राफ्ट शामिल है. एजेंसी ने इस कक्षा का चयन इसलिए किया ताकि मिशन का जीवनकाल 5 साल सुनिश्चित किया जा सके.
सूर्य की कर रहा निगरानी
एल 1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का मात्र 1 प्रतिशत है. इसी प्वाइंट के आस-पास ही आदित्य एल-1 को स्थापित किया गया है. एल-1 को जहां पर स्थापित किया गया है वहां से सूर्य को लगातार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, निगरानी की जा सकती है. इसी प्वाइंट के चारों ओर की कक्षा को हैलो ऑर्बिट कहा जाता है.