नई दिल्ली. भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को इसकी पुष्टि की. यह वही शख्स है, जो हाल ही में मंकीपॉक्स के प्रकोप वाले देश से यात्रा कर लौटा है और जिसकी पहचान रविवार को बीमारी के संदिग्ध मामले के रूप में की गई थी.
मरीज को फिलहाल आइसोलेशन में रखा गया है. व्यक्ति से सैम्पल जमा किए गए थे और अब जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो चुकी है वह मंकीपॉक्स से संक्रमित है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने दूसरी बार मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) के रूप में घोषित किया था, क्योंकि यह अफ्रीका के कई हिस्सों में फैल चुका है. डब्ल्यूएचओ द्वारा 2022 में पीएचईआईसी घोषित किए जाने के बाद से भारत में इस बीमारी के 30 मामले सामने आए हैं. इससे संक्रमित आखिरी मामला इस साल मार्च में सामने आया था.
विश्व स्वस्थ्य संगठन के पहले के बयान के अनुसार, 2022 से अब तक 116 देशों में 99,176 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं जिनमें से 208 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले साल संक्रमितों की संख्या में काफी वृद्धि हुई थी. इस साल अब तक सामने आये मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है.
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस है जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पहले देखे गए लक्षणों के समान हैं, हालांकि चिकित्सीय रूप से यह कम गंभीर है. जूनोसिस या जूनोटिक रोग मनुष्यों में होने वाला एक संक्रामक रोग है जो किसी रोगाणु के कारण होता है. अधिकारियों के अनुसार, संक्रमण का प्रभाव आम तौर पर दो से चार सप्ताह तक रहता है. एमपॉक्स के मरीज आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं.
रि० जन सेवा भारत न्यूज़ पोर्टल सम्पादक श्री मुहीत चौधरी जी की क़लम से