मुज़फ्फरनगर की नई मंडी के भरतिया कॉलोनी में मुसलमान एडवोकेट नदीम ने एक माह पहले बैंक द्वारा नीलाम किये गये इस तिरंगा लगे मकान को खरीदा था जिसका अब हिंदू संगठन यह कहते हुए विरोध कर रहे है कि “हम यहां किसी मुसलमान को नही रहने देंगे , यहां सभी धर्म जाति के लोग रहेंगे लेकिन मुसलमान नही , अगर इस कॉलोनी में मुसलमान रहा था तो हम पलायन करेंगे”, ये ही नही गुंडे मकान के अंदर भी घुसे और लगे हुए पोस्टर बैनरों को फाड़ दिया, नदीम इस घर में अभी शिफ़्ट नही हुए है क्योंकि काम चल रहा और काम करने वाले मज़दूरों के साथ भी दुर्व्यवहार करते हुए देखा जा सकता है!
एडवोकेट नदीम सामाजिक संगठन चलाते है और संगठन के लिए घर के एक हिस्से में उन्होंने बैनर लगा दफ़्तर बना दिया है और घर रोज़ 10-15 मज़दूर काम कर रहे है जिसे हिंदू संगठनों के गुंडों ने “मदरसा खोलने की तैयारी” कहते हुए मुस्लिम मकान मालिक द्वारा मकान खरीदे जाने का विरोध कर रहे है!
माननीय @narendramodi @PMOIndia और @CMOfficeUP जी!भले इस मुसलमान द्वारा ख़रीदे गये मकान पर सबसे पहले देश का झंडा लगा हो लेकिन देश का क़ानून उसके लिए शायद अलग कर दिया गया है, अब मुसलमान घर ख़रीदने से पहले ये मालूम करेगा कि इस कॉलोनी में कितने हिंदू है कितने मुसलमान है क्योंकि उसको अब अपनी मर्ज़ी से घर खऱीदने की भी आज़ादी नही है, क्या अब मुसलमान को हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले खुलेआम संविधान की धज़्ज़िया उड़ाने और भेदभाव का प्रदर्शन करने वालों से इजाज़त लेनी होगी कि साहब मैं यहां मकान खरीद सकता हूँ या नही? अगर उस बेचारे ने मकान खरीद लिया तो नमाज़ पढ़ने और मदरसा खोलने के आरोपों का सामना करने के साथ साथ गुंडई भीड़ का सामना करना पड़ेगा, पहली बात तो ये है कि उसके मुसलमान होने से नफ़रत है और भीड़ इकठ्ठा करने के लिए नमाज़ और मदरसें नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है, मान लिया जाये उसके घर में नमाज़ पढ़ी गई तो क्या मुसलमान को नमाज़ भी इन गुंडों से पूछकर पढ़नी होगी?