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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम आदेश: इन 3 मोर्चों पर कैसे बिगड़ गया BJP मुख्यमंत्रियों का खेल?

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले ने एक साथ 3 मोर्चे पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को झटका दिया है. पहला झटका पार्टी की वर्तमान पॉलिटिक्स को लगा है, जिसमें बुलडोजर के जरिए सियासी नफा-नुकसान तय किया जा रहा था.

दूसरा झटका बीजेपी के उन नेताओं को लगा है,जो बुलडोजर के जरिए अपनी छवि सख्त प्रशासक के तौर पर बनाने की कवायद में जुटे थे. इन नेताओं में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का नाम प्रमुख हैं.

तीसरा झटका प्रशासनिक विफलता छिपाने वाले उन मुख्यमंत्रियों को लगा है, जो लॉ एंड ऑर्डर की विफलता से उपजे गुस्से को शांत करने के लिए बुलडोजर चला रहे थे.

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने एक अंतरिम फैसले में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना निजी संपत्तियों पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 अक्तूबर को हम इस पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेंगे, तब तक आप इसे रोके रखिए.

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला जमीयत और अन्य संगठनों की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार किसी भी आरोप में पकड़े जाने पर लोगों का घर गिरा रही है, यह अनुच्छेद-21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है.

सुप्रीम फैसले का बीजेपी पर कैसे होगा असर, 3 पॉइंट्स

1. हिंदु्त्व की राजनीति पर असर होगा- असम हो या उत्तर प्रदेश, राजस्थान हो या मध्य प्रदेश…बुलडोजर का सबसे ज्यादा उपयोग मुसलमान आरोपियों के घर, दुकान या मकान गिराने के लिए ही किया गया है. फ्रंटलाइन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में पिछले 2 साल में करीब 1.5 लाख घर बुलडोजर से गिराए गए हैं. इनमें से अधिकांश घर मुस्लिम और हाशिए पर पड़े लोगों के थे.

फरवरी 2024 में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान जारी कर कहा था कि भारत में जानबूझकर मुसलमानों के घर बुलडोजर से गिराए जा रहे हैं. संस्था के मुताबिक पिछले वर्षों में जिन घरों को सरकार ने बुलडोजर से गिराए, उन्हें गिराने में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

एमनेस्टी के मुताबिक उन राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई जोर-शोर से हुई, जहां पर मुस्लिम एक्स फैक्टर है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बीजेपी तुष्टिकरण की राजनीति को साधने के लिए बुलडोजर चलवाती है.कहा जा रहा था कि बीजेपी अपने हिंदुत्व को मजबूत करने के लिए स्थानीय स्तर पर बुलडोजर के जरिए मुसलमान और उनके मुद्दे को स्प्रिंग की तरह दबाने का काम कर रही है.

ऐसे में अब बुलडोजर की कार्रवाई पर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, उससे बीजेपी की इस राजनीति को झटका लगता दिख रहा है. वहीं इस फैसले के बाद स्थानीय स्तर पर अब मुस्लिम सियासी तौर पर मुखर भी होंगे.

पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी के मुताबिक अपराध तो दूर की बात, प्रदर्शन करने पर भी बुलडोजर चलाया जा रहा था. सरकार इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोध को रोकने के लिए भी कर रही थी. अब सुप्रीम फैसले से सरकार की नीतिगत फैसलों का लोग पुरजोर विरोध कर सकेंगे.

2. बुलडोजर पर रोक ब्रांड योगी के लिए झटका- बीजेपी की दूसरी पीढ़ी के नेताओं में योगी आदित्यनाथ का नाम तेजी से उभर रहा है. इसकी दो वजहें बताई जाती है. पहली वजह उनका देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होना है. दूसरी वजह उनके लॉ एंड और ऑर्डर के मद्देनजर बुलडजोर एक्शन है. योगी ने बुलडोजर एक्शन के जरिए खुद की सख्त इमेज बनाई है.

बुलडोजर एक्शन की वजह से योगी को यूपी में उनके समर्थक बुलडोजर बाबा भी कहते हैं. योगी भी इसे अपना ट्रेड मार्क बना चुके हैं. हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर मचे घमासान पर योगी ने कहा था कि इसे चलवाने के लिए दिल और जिगरा की जरूरत होती है.

इतना ही नहीं, योगी अपनी हर रैली में बुलडोजर एक्शन की बखान करते रहे हैं. उनके इस बखान पर दर्शक ताली भी खूब पीटते रहे हैं, लेकिन अब जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई है, उससे योगी को आगे अपने ब्रांड को मजबूत करने के लिए कोई दूसरा रास्ता तलाशना पड़ेगा.

3. लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दों पर बढ़ेगी मुश्किलें- जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश के रीवा में एक व्यक्ति द्वारा एक आदिवासी के ऊपर पेशाब करने की घटना सामने आई. इसका वीडियो वायरल होते ही बीजेपी की सरकार बैकफुट पर आ गई. विपक्षी कांग्रेस समेत कई आदिवासी संगठनों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया. लोगों के गुस्से को देखते हुए बीजेपी की सरकार ने तुरंत आरोपियों के घर बुलडोजर चलवा दिए.

इसी तरह के कई मामले यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान और असम में देख गए. दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी दंगे न रोक पाने से झल्लाई पुलिस इलाके में अवैध अतिक्रमण को आधार बनाकर बुलडोजर चलाने जा रही थी, लेकिन उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था.

यानी कुल मिलाकर बीजेपी शासित राज्य की सरकारें लॉ एंड ऑर्डर से उपजे गुस्से को शांत करने के लिए भी बुलडोजर का उपयोग करती रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है. लॉ एंड ऑर्डर की विफलता से उपजे गुस्से को शांत करने के लिए सरकार को दूसरा रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा.

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