विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया को आने वाले संघर्षों की चेतावनी दी है. ब्रिक्स प्लस के मंच से यूक्रेन,पश्चिम एशिया में तनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने दो टूक कहा कि जिस तरह संघर्ष बढ़ते जा रहे है.
हालात चिंताजनक बने हुए हैं. पश्चिम एशिया में संघर्ष और फैलने का खतरा है. तनाव चरम पर है. हमें इन चुनौतियों के बारे में अभी बात करनी होगी. इनसे निपटने का रास्ता भी अभी बनाना होगा. वरना सबकुछ तहस नहस हो जाएगा. इस मौके पर विदेश मंत्री ने मिडिल ईस्ट, यूक्रेन संघर्ष को रोकने को रास्ता भी बताया.
जयशंकर ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संदेश को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ”यह युद्ध का युग नहीं है.” विदेश मंत्री ने कहा, संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है. विवादों और मतभेदों का समाधान सिर्फ बातचीत और कूटनीति से ही निकाला जा सकता है. एक बार कोई समझौता हो जाए, तो उसका ईमानदार से पालन होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय कानूनों का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए. आतंक के प्रति जीरो टालरेंस की नीति होनी चाहिए.
इजरायल-हमास युद्ध पर जयशंकर ने कहा, मिडिल ईस्ट और पश्चिम एशिया हमारे लिए चिंंता का विषय है. समुद्री व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इस संकट के और बढ़ने का खतरा है. इसके मानवीय और गंभीर परिणाम होंगे. फिलिस्तीन के मसले पर भारत का वर्षों पुराना रुख है, दो राष्ट्र वाला सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए. उसका पालन होना चाहिए.
सिक्योरिटी काउंसिल में तुरंत बदलाव हो
यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत के लिए स्थायी सीट का दावा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, अगर वैश्विक संस्थाओं को न्यायसंगत बनाना है, तो उनमें तुरंत सुधार करने की जरूरत है. ब्रिक्स की यह समिट इस बात का प्रमाण है कि वर्ल्ड ऑर्डर तेजी से बदल रहा है. नए वर्ल्ड लीडर्स बन रहे हैं. ब्रिक्स ग्लोबल साउथ के लिए फर्क ला सकता है. इकोनॉमिक, पॉलिटिकल और कल्चरल रीबैलेंसिंग की स्थिति बन रही है. हमें इनका लाभ उठाना होगा. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की लंबे समय से मांग रही है. इस मांग का समर्थन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित दुनिया की प्रमुख शक्तियां करती हैं, लेकिन अब तक सुधार नहीं हो पाया है. अभी चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य हैं.