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गरीब परिवार में जन्मे बैखौफ शायर डॉ नरेश सागर को हिंदी दिवस पर 2024 का मिला हिंदी गौरव सम्मान


(रिपोर्टर भूपेंद्र वर्मा)
गढ़मुक्तेश्वर/ जनपद हापुड़ की तहसील गढ़मुक्तेश्वर के सिंभावली ब्लॉक के एक छोटे से गांव मुरादपुर के एक छोटे से गरीब साधारण परिवार में जन्मे बैखौफ शायर डॉ नरेश सागर ने अपने साहित्य प्रतिभा के बल पर हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी गौरव सम्मान 2024 पर के साथ सम्मानित होने पर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। वही यह भी साबित कर दिया है की प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इंसान में यदि जज्बा है कुछ कर गुजरने का तो सफलता कदम चूम लेती है। जिसका उदाहरण है डॉक्टर नरेश सागर बेखौफ शायर।


बता दे कि सिंभावली ब्लॉक के गांव मुरादपुर की सागर कालोनी में रहने वाले डा.नरेश सागर जो एक बहुत ही साधारण गरीब परिवार से संबंध रखते है। और अपनी साहित्यक प्रतिभा के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ते जा रहे है। डा. नरेश सागर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओ में भी अपनी रचनाएं लिख रहे है।बल्कि वो राष्ट्रीय -अन्तरराष्ट्रीय मंचो से सम्मानित भी होते रहे है।अपनी बेबाक कलम के चलते बेखौफ शायर से मशहूर डा. नरेश सागर अब तक 650 से अधिक सम्मान प्राप्त कर चुके है। हिंदी दिवस पर हुए आनलाइन प्रतियोगिताओं में डा.सागर की एक विशेष भूमिका रही है। जिसके चलते उन्हें देश की राष्ट्रीय साहित्य संस्था सनसाईन आफ इंडिया ने हिंदी गौरव सम्मान 2024 से सम्मानित किया जिसकी संस्थापक श्रीमती रेखा हिसार है। जिसमें साहित्य उपवन रचनाकार साहित्य संस्था ने उन्हें भाषा वत्सल सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा भी उन्हें हिंदी दिवस पर अन्य सम्मान पत्रो से भी सम्मानित किया गया ।


डा.सागर ने कहा कि जब तक मेरे शरीर में खून की एक एक बूंद भी रहेगी वो देश धर्म और समाज के प्रति बडी जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ लिखते रहेंगे ।

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