कोलकाता: राज्य में वोटर लिस्ट संशोधन के लिए चल रही ‘SIR’ (सर्वे ऑफ इंटेलिजेंट रेस्पोंसेस) प्रक्रिया के एनुमरेशन फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख गुरुवार को थी। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अभी तक यह फॉर्म जमा नहीं किया है।
कृष्णानगर की सभा से उन्होंने खुद यह बात बताकर नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।
सभा में मुख्यमंत्री ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “मैंने अभी तक फॉर्म फिलअप नहीं किया है। क्यों नहीं किया? मैं तीन बार केंद्रीय मंत्री रही। सात बार सांसद बनी। तीन बार मुख्यमंत्री रही। आज मुझे साबित करना होगा कि मैं नागरिक हूँ?” इसके बाद उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इससे बेहतर है नाक रगड़ना!”
BJP और आयोग पर तीखा हमला
फॉर्म न भरने के पीछे मुख्यमंत्री ने भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मैं उन दंगाइयों को यह साबित नहीं करूँगी कि मैं देश की नागरिक हूँ। जब देश आजाद हुआ था, तो तुम लोग कहाँ थे?”
उन्होंने सवाल किया, “आज रवींद्रनाथ, नेताजी, खुदीराम, सबका अपमान किया जा रहा है। यह कैसा भारत है?”
SIR प्रक्रिया के खिलाफ न होते हुए भी, मुख्यमंत्री ने इतने कम समय में पूरी प्रक्रिया को जल्दबाजी में खत्म करने के प्रयास का विरोध किया। उन्होंने कहा, “हमने कहा था कि आराम से करो। इतनी जल्दी क्यों है? व्हाई सो हरी?” मुख्यमंत्री ने इस जल्दबाजी के पीछे राजनीतिक मकसद को जिम्मेदार ठहराया-”वोट के लिए बंगाल में जबरदस्ती कब्जा करना चाहते हैं। लेकिन हमारे रहते ऐसा नहीं होने देंगे।”
क्या मुख्यमंत्री का नाम कट सकता है? आयोग का क्या कहना है?
हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एनुमरेशन फॉर्म जमा न करने पर क्या कोई विशेष जटिलता उत्पन्न हो सकती है? क्या वोटर लिस्ट से खुद मुख्यमंत्री का नाम कट सकता है?
इस पर चुनाव आयोग से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि राज्य के कुछ विशिष्ट व्यक्तियों, जैसे राजनीतिक नेता, न्यायपालिका से जुड़े लोग, खिलाड़ी, कलाकार या अन्य जाने-माने व्यक्तियों के मामले में पहले चरण में फॉर्म जमा न करने पर भी कोई समस्या नहीं है। वे दूसरे चरण में दस्तावेज जमा कर सकते हैं।




